Neem Karoli Baba , Full Story In Hindi : पूरी कहानी - एक अद्भुत शक्ति

Neem Karoli Baba , Full Story In Hindi : पूरी कहानी - एक अद्भुत शक्ति



 बाबा नीम करौली ( Neem Karoli Baba ) और कैंची धाम आश्रम का नाम आपने अपने जीवन में कहीं ना कहीं जरूर सुना होगा। भारत में प्राचीन काल से ही अद्भुत शक्तियों एवं ज्ञान का भंडार रखने वाले कई महापुरुष और संत रहे हैं जिन्होंने हमेशा से देश के लोगों को सही मार्ग पर चलना सिखाया है। नीम करौली बाबा का नाम भी बहुत प्रसिद्ध है और माना जाता है बाबा को हनुमान जी द्वारा सिद्धि प्राप्त थी। नीम करौली बाबा ने अपने जीवन में बहुत से चमत्कार किए हैं जिनके वास्तविक प्रमाण भी देखने को मिलते हैं। आज हम आपको ( Neem Karoli Baba , Full Story In Hindi ) नीम करौली बाबा की पूरी कहानी विस्तार से बताएंगे।

Neem Karoli Baba , Full Story In Hindi : पूरी कहानी - एक अद्भुत शक्ति

आज हम पढ़ेंगे - 

> बाबा नीम करौली का जीवन परिचय

> बाबा नीम करौली की तपस्या

> बाबा नीम करौली का इतिहास

> कैंची धाम आश्रम ( नैनीताल )

> मार्क जुकरबर्ग और स्टीव जॉब  कैसे बने बाबा के भक्त

> बाबा नीम करौली हनुमान जी के रूप

> बाबा नीम करौली के कुछ रोचक तथ्य

> कैसे हुआ था बाबा नीम करौली का निधन

1. नीम करौली बाबा ( Neem Karoli Baba Biography In Hindi )

* लोगों का मानना यह है की नीम करौली बाबा भगवान हनुमान जी के अवतार थे। बाबा नीम करौली ने अपना पूरा जीवन हनुमान जी की साधना करने में व्यतीत किया था। इसके साथ ही बाबा एक महान गुरु भी थे। बाबा नीम करौली ने अपने जीवन में 100 से ज्यादा हनुमान मंदिरों की स्थापना कराई है। बाबा ने गृह त्याग कर सन्यासी जीवन को अपनाया था।

* बाबा नीम करौली का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था , और इनका जन्म 11 सितंबर सन 1900 को अकबरपुर , फैजाबाद , उत्तर प्रदेश , भारत में हुआ था। बाबा की माता का नाम ज्ञात नहीं किया जा सका परंतु बाबा के पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था और यह एक ब्राह्मण परिवार से थे।

* Baba Neem Karoli विवाहित थे परंतु इनकी पत्नी का नाम किसी को नहीं पता और इनके बच्चों का नाम बेटे अनेग सिंह शर्मा , धर्म नारायण शर्मा और एक बेटी गिरिजा है। बाबा नीम करौली हिंदू धर्म मैं मान्यता रखते थे। बताया जाता है कि बचपन में बाबा के पिता ने इनका विवाह 11 वर्ष की आयु में ही कर दिया था। परंतु बाबा की इच्छा सन्यास धारण करने की थी इसलिए बाबा नीम करौली नहीं सभी सांसारिक सुखों का त्याग कर सन्यास को अपना लिया था।

* बाबा ने 10 वर्षों तक सन्यासी जीवन व्यतीत किया तथा फिर वह 1 दिन अपने पिता से मिलने घर गए और उनके पिता ने उनको खूब समझाया इसी वजह से बाबा ने फिर से सन्यासी जीवन त्याग कर सांसारिक जीवन को अपनाया इसी बीच उनके तीन बच्चे भी जन्म लेते हैं। अपने सांसारिक जीवन के कर्तव्य को पूरा करने के बाद वर्ष 1958 में बाबा फिर से सन्यासी जीवन को अपनी अंतिम सांस तक अपनाते हैं।

2. बाबा नीम करौली की तपस्या ( Baba Neem Karoli Austerity )

सन 1958 में बाबा ने फिर से सन्यास धारण कर अपने परिवार , घर , पत्नी , बच्चे सभी का त्याग किया था। उसके बाद बाबा ने कई जगह तीर्थ स्थलों पर जाकर तपस्या करी और जगह-जगह लोगों को उपदेश दिए थे। कुछ ही समय के भीतर बाबा नीम करोली एक महान ज्ञानी बन गए थे। बाबा के भक्त उन्हें कई नामों से पुकारते थे जैसे बाबा लक्ष्मण दास , हांडी वाला बाबा , तिकोनिया वाला बाबा और गुजरात के बवानिया मोरबी में तपस्या करने पर वहां के भक्त बाबा को तलैयां वाला बाबा नाम से पुकारते थे और वृंदावन पहुंचने पर बाबा को चमत्कारी बाबा नाम दिया गया। बाबा ने मात्र 17 वर्ष की आयु में ही ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

3. नीम करौली बाबा का चमत्कारी इतिहास ( Neem Karoli Baba History )

एक बार नीम करौली बाबा ट्रेन में अपनी तीर्थ यात्रा के लिए कहीं जा रहे थे परंतु उनके पास टिकट नहीं था तभी टीटी उनके पास आकर टिकट मांगता है और बाबा कहते हैं कि मेरे पास कोई टिकट नहीं है मैं एक सन्यासी हूं। तभी टीटी कहता है मुझे आपके सनसी होने से कोई फर्क नहीं पड़ता आपको रेल में यात्रा करने के लिए टिकट लेनी ही पड़ेगी वरना मैं आपको आने वाले अगले स्टेशन पर उतार दूंगा। टीटी ने अगला स्टेशन आते हैं बाबा को नीचे उतार दिया परंतु उसके बाद कई प्रयास करने के बाद भी रेल वहां से आगे नहीं बढ़ पा रही थी। ट्रेन में बैठे सभी लोग यह नजारा देख रहे थे और लोगों ने सलाह दी यदि ट्रेन चलानी है तो आपको बाबा को बिठाना पड़ेगा। बाबा नीम करौली वही बैठे ध्यान कर रहे थे।

सभी लोगों के कहने पर बाबा रेल में बैठने के लिए तैयार हो जाते हैं परंतु वह अपनी एक शर्त रखते हैं कि इस स्थान पर आपको रेलवे स्टेशन बनवाना होगा सभी इस बात को मान जाते हैं। फिर जैसे ही बाबा ट्रेन में बैठते हैं तो ट्रेन तुरंत चलने लगती है। इस दृश्य को देखकर रेल के सभी यात्री बहुत आश्चर्यचकित हो जाते हैं और इस चमत्कार के बाद सभी लोग बाबा नीम करौली को भगवान का रूप मानने लगते हैं। उसी समय से बाबा नीम करोली विश्व भर में प्रसिद्ध है। बाद में वहां शर्त के मुताबिक रेलवे स्टेशन बनवाया गया जिसका नाम नीम करौली के नाम से प्रसिद्ध हुआ साथ ही बाबा का एक भव्य मंदिर भी बनवाया गया।

4. कैंची धाम आश्रम - नैनीताल ( kainchi Dham Ashram - Nainital )

कैंची धाम आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल में कैंची स्थान पर मौजूद है। बाबा नीम करौली अपना ज्यादातर समय इस आश्रम पर ही गुजारते थे। यहां देश-विदेश से उनके भक्त अपनी समस्या लेकर बाबा के पास आते थे तथा बाबा उनका समाधान करते थे और उनको राह दिखाते थे। मुख्य रूप से बाबा के दर्शन करने अमेरिका के बड़े-बड़े लोग आते थे। बाबा हमेशा आश्रम में कंबल ओढ़ कर बैठे रहते थे। बाबा ने अपने जीवन में कई स्थानों पर उपदेश दिए थे जिनमें मुख्य गुजरात , दिल्ली , फर्रुखाबाद , वृंदावन , वाराणसी और उत्तराखंड थी।

नीम करौली बाबा का एक प्रसिद्ध मंदिर उत्तराखंड में स्थित है जहां रोज हजारों लोग दर्शन के लिए जाते हैं । यह मंदिर शिप्रा नदी के तट पर स्थित है जो मुख्य रूप से हनुमान जी का मंदिर है। जो भक्त यहां दर्शन करने जाता है उसको भगवान हनुमान जी विशेष अनुभूति का एहसास यहां होता है। लोगों का कहना है यहां मांगी गई सभी दुआएं और मन्नत अवश्य ही पूरी होती हैं।

5. मार्क ज़ुकरबर्ग और स्टीव जॉब्स कैसे बने बाबा के भक्त ( Mark Zuckerberg , Steve Jobs )

Neem Karoli Baba , Full Story In Hindi : पूरी कहानी - एक अद्भुत शक्ति


Facebook  कंपनी के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स दोनों को बाबा नीम करौली का भक्त बताया जाता है। Steve Jobs को जब भी कोई समस्या या दुविधा दिखाई देती थी यह  बाबा के पास उत्तराखंड सलाह लेने आए थे। इसी प्रकार फेसबुक कंपनी के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग अपने शुरुआती दिनों में कई प्रकार की दुविधा में फंसे हुए थे उनका हल निकालने के लिए वह खुद कैंची धाम आश्रम आए थे। बाबा के भक्त सिर्फ भारत में ही ना होकर विदेशों में भी हमेशा से रहे हैं।

6. बाबा नीम करौली हनुमान जी के रूप ( Avatar Of Hanuman Ji )

बाबा ने अपना संपूर्ण जीवन हनुमान जी की साधना करने में व्यतीत किया था वह हमेशा लोगों को हनुमान जी की शक्ति के बारे में बताते थे तथा उनमें आस्था रखने के लिए कहते थे। बाबा हमेशा हनुमान जी की अर्चना करते दिखाई देते थे। बाबा ने अपने जीवन में 100 हनुमान मंदिरों का निर्माण करवाया था। इसी वजह से लोगों का मानना है कि बाबा नीम करौली हनुमान जी के ही रूप हैं।

7. बाबा नीम करौली के कुछ रोचक तथ्य ( Interesting Facts About Baba Neem Karoli )

> बाबा का विवाह मात्र 11 वर्ष की आयु में करवा दिया गया था।

> बाबा ने लोगों को बड़े बड़े चमत्कार करके दिखाएं हैं।

> बाबा कभी-कभी अचानक से ही मोहन धारण कर लेते थे।

> मात्र 17 वर्ष की आयु मे बाबा को ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी।

> बाबा अपने आश्रम में एक लकड़ी के तख्त पर कंबल लपेटकर बैठे रहते थे।

> बाबा की प्रसिद्धि विदेशों तक होने लगी थी।

> नीम करोली बाबा के मुख्य मंदिर में यदि कोई भक्त सच्चे मन से प्रार्थना करता है तो उसकी मन्नत अवश्य पूरी होती है।

> रिचर्ड एलपेर्ट खुद को बाबा का शिष्य बताते हैं जो कि अमेरिका के बहुत बड़े उद्योगपति हैं।

> बाबा अपने भक्तों से बहुत प्रेम करते थे तथा उनकी सभी समस्याओं का समाधान बताते थे।

> एक बार सन 1973 में बाबा का एक भाग उनसे मिलने आता है और भेंट में 8 संतरा लेकर आता है तथा बाबा से खाने के लिए कहता है परंतु बाबा उन संतो को अपने भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बांट देते हैं । भक्तों के आठ संतरे 18 संतरा में बदल जाते हैं यह चमत्कार देखकर उनके भक्त हैरान रह जाते हैं।

> बाबा नीम करौली को हनुमान जी की सिद्धि प्राप्त थी।

> वर्तमान समय में देश विदेश से हजारों की संख्या में रोजाना लोग नीम करोली बाबा के कैंची धाम आश्रम में दर्शन के लिए जाते हैं।

8. कैसे हुआ था बाबा नीम करौली का निधन ( Baba Neem Karoli Death )

बाबा नीम करौली का निधन 11 सितंबर 1983 को वृंदावन के अस्पताल में हुआ था। एक दिन बाबा रात की ट्रेन से आगरा से नैनीताल जा रहे थे अचानक ही उनकी तबीयत कुछ बिगड़ने लगी और उन्होंने वृंदावन में रुकने का फैसला किया फिर डायबिटिक कोमा में जाने के बाद बाबा का निधन हो गया। बाबा एक महा ज्ञानी व्यक्ति थे जब उनको यह महसूस होने लगा था कि अब उनके धार्मिक कार्य पूरे हो गए हैं फिर उन्होंने इस संसार से विदा लेनी चाहि। उन्होंने अपने भक्तों को इस बात के संकेत देना शुरू कर दिए थे। बाबा हमेशा अपने पास एक कॉपी रखते थे जिस पर प्रतिदिन राम लिखते थे जब वह अपनी आश्रम से 9 सितंबर 1973 को आगरा के लिए रवाना हुए उस समय उन्होंने उस कॉपी को आश्रम की प्रमुख श्री मां को सौंप दिया और उसपर लगातार राम नाम लिखने को कहा था। Baba Neem Karoli की समाधि नैनीताल के पास पंतनगर में है।


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